कभी ख्वाब कभी रात पर बिगड़ जाती हैं

कभी ख्वाब कभी रात पर बिगड़ जाती हैं

कभी ख्वाब कभी रात पर बिगड़ जाती हैं

कभी ख्वाब, कभी रात पर बिगड़ जाती हैं,
ये निंद हमारी, हर बात पर बिगड़ जाती हैं !!


Kabhee khvaab, kabhee raat par bigad jaatee hain,
Ye nind hamaaree, har baat par bigad jaatee hain !!