मुहब्बत एक दम ग़म का एहसास होने नही देती

मुहब्बत एक दम ग़म का एहसास होने नही देती

मुहब्बत एक दम ग़म का एहसास होने नही देती
ये तितली बैठती है ज़ख़्म पर आहिस्ता-आहिस्ता !!


Muhabbat ek dam gam ka ehasaas hone nahee detee
Ye titalee baithatee hai zakhm par aahista-aahista !!